डेमोक्रेसी और परमेश्वर

क्या डेमोक्रेसी मनुष्य को चुनाव से पहले झूठे वायदो से मुर्ख बनाकर वोट लेने , चुनाव के जीतने के बाद प्रेस की फ्रीडम को ख़तम करने ,अबला ,अल्पसंख्यको और अनाथो को मारकर अपनी सत्ता को बढ़ाने का नाम है ? एशिया और मिडिल ईस्ट, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में यह उदहारण प्रीतिदिन की न्यूज़ में देखने ,सुनने और पढने को मिलते है। देशो के लीडर्स जनता के टेक्स से इकठे पैसे का दुरपयोग करके अपने घर को भरते है और अमीरो की देखभाल करके गरीबो का हक़ मारते है। बहुत से देशो की गरीबी का कारण उनकी स्वार्थी राजनैतिक और धार्मिक विचारधारा है। सरकारे लोगो को लिए शिक्षा , सुऱक्षा ,स्वास्थ्य का प्रबंध करने और उन्हें
गरीबी से निकालें की बजाय सही डेमोक्रेसी की परिभाषा को अपने हितो के अनुसार बदल देती है।
पाश्चत्य देशो में जहाँ सही मायने में डेमोक्रेसी कामयाब है वहां बाइबिल की शिक्षा का मूलभूत अनुसरण किया जाता है। इजराइल के देश को मिस्त्र की गुलामी के बाद स्वतंत्र होने के बाद १० आज्ञाएं दी गयी थी और येशु मसीह के यह शिक्षा अपने पडोसी को वैसे ही प्रेम करो जैसे अपने आप को , आज भी इस्राल और पश्चिम के देशो की राजनैतिक विचारधारा के व्यवहार में लायी जाती है। बाइबिल यह भी कहती है कि न्याय सा राजा स्थिर होता है परन्तु अन्याय और अत्याचार को बढावा इन देशो में सरकारी मशीनरी के द्वारा किया जाता है। हमेशा अपने पापो का दोष दूसरे पर लगाने से बात नहीं बनती।
परमेश्वर ने २००० साल पहले अपने बेटे को भेजकर रोमन सरकार को और आडम्बर वाले धार्मिक अनुष्ठान का नाश कर दिया और सच्ची स्वतंत्रता के बारे में उपदेश दिया। अधिक जानकारी के लिए बाइबिल की प्रति को खरीदकर पढ़े। हमारे ऑनलाइन रेडियो को सुने या टीवी कार्यक्रमों देखे। आप हमारे टीवी कार्यक्रम मीडिया के अंतर्गत देख सकते है और रेडियो प्रोग्राम लिंक पर क्लिक करके सुन सकते है।

जरा सोचिये – ७० साल की आज़ादी

पिछले साल भारत की आज़ादी को ७० साल हो गए और इस साल इजराइल की भी पुरे ७० साल।
परन्तु इजराइल मध्य पूर्व की एक प्रगतिशील अर्थ व्यवस्था और कई देशो को विभिन्न देशो को तकनिकी ज्ञान का निर्यात करता है। खेती , कंप्यूटर टेक्नोलॉजी और स्वस्थ्य सेवाओं में आगे छोटा सा यह देश विश्व को हैरान करता है।
भारत में इसके विपरीत गरीबी, हिंसा, सामूहिक बलात्कार, धार्मिक दंगे , प्रदूषण और अन्याय का बोलबाला है। हम कहाँ गलत है और कहाँ सही यह चिंतन का विषय है। क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ीओ को अपने ही देश में सुख से रोटी दे पाएंगे ? क्या शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी ? क्या नारी की सुरक्षा के बारे में सोचा जाएगा।
जरा सोचिये हम ७० साल में कहा से कहाँ पहुंचे है ?
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परमेश्वर की सुरक्षा

मनुष्य होने के नाते हम परमेश्वर की सुरक्षा को एक जादू का घेरा समझ कर यह देखना चाहते है कि हमारे ऊपर कोई बुराई न आये। हाँ, यह सच है कि परमेश्वर हर बुराई या नाश से हमें बचा सकता है परन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ऐसी दुनिया में रहते है जहाँ पाप की उपस्थिति के कारण पतन की स्थिति है और मनुष्य को सही या गलत चुनने का विक्लप दिया गया है। परमेश्वर इस तरीके से काम करता है कि हम समझ नहीं पाते। बहुत बार परमेश्वर की सुरक्षा हमारे जीवन में शांति और सामर्थ के रूप में आती है बेशक हमारे जीवन में निराशा हो। कई बार परमेश्वर उस क्षितिज में देखता है जो हमें दिखाई नहीं देता। येशु मसीह में विश्वासी होने के नाते हमें एक नये जीवन के अनुभव का वायदा मिलता है जहाँ परमेश्वर के प्रेम से कभी भी अलग ना होने के कारण उससे सुरक्षा का साया हमारे ऊपर निरंतर होता है। आपको यह समझ कर सकून होना चाहिए कि चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थिति हों, परमेश्वर हमारे को सब कुछ देने वाला और सुरक्षा प्रदान करने वाला प्रभु है ! यहाँ पर बताई हुई बाइबिल की आयते निरंतर मुख से बोलने से आपके दिल में विश्वास आयेगा और उसकी अलौकिक सुरक्षा का साया आपके जीवन से कभी भी हटेगा नहीं।

१ कुरिन्थिओ १० : १३ ऐसी कोई भी परीक्षा तुम्हे नुकसान नहीं पहुचायेंगी जो मनुष्य के लिए सामान्य है। परमेश्वर विश्वसनीय है;वह तुम्हे उससे अधिक ताड़ना नहीं सहने देगा जो आपकी बर्दाश्त से बाहर हो। परन्तु जब आपके जीवन में परीक्षा आती है, तो वह तरीका भी बतायेंगा कि उसे कैसे सहा जाये।

२ थिस्सलुनीकियो ३:३ परन्तु परमेश्वर विश्वसनीय है , वह तुम्हे शक्ति देगा और दुष्ट से सुरक्षा भी देगा।

१ व्यवस्थाविवरण ३१:६ शक्तिशाली बनो और होंसला करो । किसी से डरने और भयमानने की जरूरत नहीं, क्योकि परमेश्वर तुम्हारा प्रभु तुम्हारे साथ साथ जाता है ; वह तुम्हे न तो छोड़ेगा और न ही भूलेगा।

यशायाह ४१: १० डर मत और न ही निरुत्साहित हो, क्योकि मैं तुम्हारा परमेश्वर हूं। मैं तुम्हे शांति दूंगा और तुम्हारी सहयता करूंगा ;मैं तुझे आपने पवित्र दाहिने हाथ से थामा रहूंगा।

नीतिवचन २:११ सही फैसला करने की क्षमता तुम्हे सुरक्षित रखेंगी और समझ तुम्हारी पहरेदारी करेंगी।

नितिवचन ४: ६ बुद्धिमानी को मत भूल, वह तुम्हे सुरक्षित रखेंगी; उससे प्रेम कर और वह तुम्हारी देखभाल करेंगी।

भजनसहिंता ५:११ परन्तु वे जो उसके पास शरण लेने के लिए जाते है; प्रसन्न हो; वह हमेशा आनंद से गीत गायें। अपनी सुरक्षा का साया उनके ऊपर फैला, जिससे जो तेरे नाम से प्रेम करते है आनंदित हो।

भजनसंहिता १२:क्योकि गरीब पर हिंसा की जा रही है और लाचार कराहा रहे है , इसलिए मैं अब उठ खड़ा होऊंगापरमेश्वर यह कहता है। मैं उन्हें उनसे सुरक्षित रहूँगा जो उससे घृणा करते है।

भजनसंहिता २०:१ ऐसा हो कि परमेश्वर तुम्हे तब जवाब दे जब तुम दुख में हो ; याकूब का परमेश्वर तुम्हे सुरक्षा दे।

भजनसंहिता ३४ : १९ धर्मी व्यक्ति के सामने मुश्किलें हो सकती है परन्तु परमेश्वर उन्हें उन सब में से निकलता है।

भजनसंहिता ४६ : १ परमेश्वर में हमारी शरण और शक्ति है और हमेशा उपस्थित सहायता जब मुश्किलें आती है।

भजनसंहिता ५७ : १ मेरे पर दया कर , हे मेरे परमेश्वर दया कर , क्योकि में तेरे पंखो के साये में शरण लेता हू जब तक मुसीबत चली नहीं जाती।

भजनसंहिता ५९:१ मुझे मेरे शत्रुओ से छुटकारा दे , हे परमेश्वर ; मेरे लिए किले की दिवार बन जिससे मुझ पर हमला न हो पाए।

भजनसंहिता १३८ :७ बेशक में मुसीबत में से गुजर रहा हूं। आप अपने हाथ को मेरे शत्रुओ के क्रोध विरुद्ध आगे बढ़ाओ, अपने दाहिने हाथ से मेरे को बचाओ।

भजनसंहिता १४०:४ है परमेश्वर , मुझे दुष्ट के हाथ से सुरक्षित रख; मुझे हिंसा करने वाले से बचा जो मेरे पैर को फंसाना चाहता है।

१ थिस्सलुनीकियो ५: २३२४ ऐसा हो कि परमेश्वर स्वयं, जो शांति का परमेश्वर है तुम्हे पूरी तरह से पवित्र करे। ऐसा हो कि तुम्हारी आत्मा ,मन और शरीर निर्दोष रखे रहे जब तक येशु मसीह वापस नहीं आते। वह जिसने तुम्हे बुलाया है, विश्वसनीय है और करके दिखायेगा।

२ कुरिन्थिओ ४:९ हम हर तरफ से बुरी तरह से दबाये जा रहे है व्याकुल तो है पर कोई बात नहीं , सताए जा रहे है पर तिरस्कृत नहीं बुरी तरह से निचे गिराए जा रहे पर विनाश से बचे हुए है।

. शमूएल २२:४ मेरा परमेश्वर मेरी चट्टान है जिसमे मैं शरण लेता हूं ,वह मेरी ढाल और मेरी मुक्ति का सींग हैं। वह मेरे छुपने का स्थान , शरण और उधारकर्ता है हिंसा करने वाले लोगो से वह मेरी रक्षा करता है। मैंने परमेश्वर को पुकारा जो प्रशंसा के योग्य है और मैं अपने शत्रुओ से बचा लिया गया।

भजनसंहिता २३ :४ परमेश्वर मेरा चरवाहा है, मुझे किसी भी चीज़ की घटी नहीं होगी। वह मुझे हरी हरी घांस में लिटाता है और शांत पानी के पास ले जाता है। वह मेरी आत्मा को तृप्त करता है। वह सही रास्तो की और मेरा मार्गदर्शन अपने नाम के कारण करता है। बेशक मैं अंधकार की घाटियों में भी चलूँगा तो भी किसी भी बुराई से नहीं डरूंगा क्योकि आप मेरे साथ हो।

यूहन्ना १०:२८ ३० और मैं उन्हें अनंत जीवन देता हूँ। वह कभी नष्ट नहीं होंगे और उन्हें कोई मेरे हाथ से नहीं छीनेगा। मेरा पिता जिसने उन्हें मुझे दिया है सब से बड़ा है पर कोई उन्हें पिता के हाथ से नहीं छीन सकता। मैं और मेरा पिता एक है।

भजन सहिंता १२१ :मैं अपनी आँखे पर्वतो की और लगाऊंगा। मुझे सहायता कहाँ से मिलती है ? मुझे सहायता यहोवा से मिलती है जो आकाश और पृथ्वी का रचियता है। वह तेरे पैर को हिलने नहीं देगा और ना ही वह सोयेगा क्योकि वह रक्षक है। यहोवा तेरा रक्षक है ; यहोवा तेरी दाहिने और तेरी आड़ है। न तो धुप और ना ही रात की चांदनी तुझे हानि पहुंचायेगी। यहोवा सारी विपति से तेरी रक्षा करेगा ; वह तेरे प्राण की रक्षा करेंगा। यहोवा तेरे आने जाने में तेरी आप से सदा तक रक्षा करेंगा।

भजनसहिंता ९१ : जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे , वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएंगा। मैं यहोवा के विषय में यह कहूंगा ; वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है ;वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा करूंगा। वह मुझे बहलिए के जाल से और महामारी से बचाएगा ;वह तुझे पंखो की आड़ में ले लेगा , और तू उसके परो के नीचे शरण पाएंगा , उसकी सच्चाई तेरे लिए ढ़ाल और झिलम ठहरेगी। तू ना तो रात के भय से डरेगा और ना उस तीर से जो दिन में उड़ता है ना उस मरी से जो अंधेरे में फैलती है , न ही इस महारोग से जो दिन में फैलता है। तेरे निकट हज़ार और तेरे दाहिने और दस हज़ार गिरेंगे ; परन्तु वह तेरे पास नहीं आएंगे। परन्तु तू अपनी आँखों से द्रष्टि करेंगा और दुष्टो के अंत को देखेगा। हे यहोवा तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तूने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है ,इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर नहीं पड़ेंगी ,और न ही कोई दुःख तेरे डेरे के निकट आयेंगा। क्योकि वह अपने दूतो को तेरे निमित आज्ञा देंगा, कि जहाँ कही तू जाये वे तेरी रक्षा करे। ऐसा नो हो कि तेरे पांव में ठेस पहुंचे। तू सिंह और नाग को कुचलेगा , तू जवान सिंह और अजगर को लताडेगा। उसने जो मुझ से प्रेम किया है , इसलिए में उसे छुड़ाऊंगा , में उसे ऊंचे स्थान पर रखूँगा , क्योकि उसने मेरे नाम को जान लिया है। जब वह मुझ को पुकारेगा तब में उसकी सुनुँगा , संकट में में उसके संग रहूंगा , मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊंगा। में उसे लम्बी उम्र दूंगा और उद्धार का दर्शन दिखाऊंगा।

जीवन में स्थिरता !

हम में से बहुत से लोग एक बंजारे का जीवन जीते है। सही रोजगार का न मिलना , बीमारी का न जाना, बेटी की शादी का न होना, संतान की शिक्षा की चिंता या फिकर , हमारे जीवन की निरंतर समस्या रहती है। परन्तु बहुत से लोग यह जानते और समझते नहीं कि हमें बनाने वाला परमेश्वर हमें प्यार करता है और आज से २००० हज़ार साल पहले उसने अपने पुत्र येशु मसीह को इस धरती पर भेजा और उसने हमें हर पाप और श्राप के प्रभाव से स्वतंत्र किया। उस पर विश्वास करने से हमारे जीवन में आशा आएँगी और उसकी उपस्थिति हमारे जीवन को स्थिर करेंगी।
परमेश्वर के बारे में जानना और उसको जानना दो अलग अलग बाते है। वह हमें प्यार करने वाला पापा, डांटने वाला पिता , रहस्यो खोलने वाला दोस्त और न्याय करने वाला जज है।
उसके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध बनाने वाले, उसके साथ संगती करने वाले लोग उसके सामने निरंतर अपने पापो का प्रायशचित करते है और उससे जीवन की हर आवश्यकता के लिए प्राथना करते है। उसका धन्यवाद , स्तुति और आराधना हमें उसकी आवाज़ सुनने का अवसर देती है। अगर आप उसके साथ संगती में शामिल होना चाहते है तो उसके वचन बाइबिल का अध्ययन करना प्रारम्भ कर दीजिये।
सबका रेडियो आप को परमेश्वर को जानने और उससे घनिष्ट सम्बन्धो बनाने के बारे में बताता है। अगर हम चाहते है कि हम आपकी आवश्यकताओ के लिए प्राथना करे तो हम वह भी करने को तैयार है। हमें इ-मेल भेजिए जा फ़ोन करिये।
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