क्रोना वायरस

जब सब जगह क्रोना वायरस की चर्चा है और सामान्य जन जीवन अस्त व्यस्त है तो मेरा ध्यान २ शमूएल १५-२५ की और जाता है जहाँ राजा दाऊद की हठधर्मी से पुरे देश में महामारी आयी। राजा दाऊद के यह वचन बहुत दुखद है जहाँ वह कहता है मैंने बस मैंने पाप किया है ,इन निर्दोष भेड़ो प्रजा का क्या दोष किया है ! ऐसा हो कि आपका क्रोध मेरे और मेरे परिवार पर पड़े। दुनिया की सरकारे , प्रशासन और सत्ताधारी नेता केवल अपने राजनैतिक हित की बात करती है, अपने एजेंडे को आगे बढ़ाती है और परमेश्वर के उस महान आदेश का जो कहता है , ” अपने पड़ौसी से वैसे ही प्रेम करो जैसे आपने आपको ” तिरस्कार करती है। परमेश्वर के एजेंडे में हर नर और नारी बहुमूल्य है। उसकी जाति, कुल, आर्थिक स्थिति ,ओहदा ,और लिंग का परमेश्वर के प्रेम से वंचित होने से कोई रिश्ता नहीं। हम उपवास ,विलाप के साथ मध्यस्था की प्राथना के प्राथना करे और आराधना के स्थान की वेदी और चबूतरे के बीच में खड़े होकर रोये और परमेश्वर से कहे है प्रभु हमारे नेताओ , रहनामुओं और लीडर्स ने गलती की है और आपके नियमो और विधिओ का तिरस्कार किया है , हम उनके साथ साथ दोषी है कि हमने प्राथना नहीं की, सत्य का सामना नहीं किया और आज हम सब उसका परिणाम भुगत रहे है। हे परमेश्वर अपने फ़रिश्ते को भेज और क्रोना वायरस को रोक जैसे तूने विनाश के फ़रिश्ते को येरुसलेम पहुंचने से पहले रोका था। आपका वचन कहता है कि आप पछताए कि आपने महामारी भेजी। हे प्रभु आप तो जीवन के परमेश्वर हो ना कि मृत्यु के ! आपके बेटे का बलिदान २००० साल पहले मनुष्य को मृत्यु से बचाने के लिए दिया गया था ना की मारने के लिए नहीं। हम इस महामारी को रोकने के लिए आपके पास उस विधवा की तरह आएंगे जिसने अन्यायी न्यायधीश को रोज सुबह दरवाज़ा खटखटाकर थका दिया था। प्रभु बेटिया और बेटे सफर नहीं कर सकते,स्कूल नहीं जा सकते, व्यवसाय ठप है और मीडिया बस मौत की ही रिपोर्ट देता है।मुझे तो बस वह पुराना गाना याद आता है ,”दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी , कहे को दुनिया बनायीं ” क्या आपने मनुष्य को बस जीते जी बीमारी से मर जाने के लिए ही बनाया है। अगर ऐसे है तो उन्हें जीवन देने का क्या फायदा ! आप आम आदमी और जनता को सत्ताधारी क्रूर प्रशासकों के पापो की सजा मत दो। दया करो और इस महामारी को तुरंत रोको जिससे जीवन सामान्य हो जाये। यह सब हम अपने उद्धारकर्ता प्रभु येशु के नाम से मंगाते है , सुन और कबूल कर ! आमीन
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