इस श्रंखला में हम बीजने और काटने की बात कर रहे है। यहाँ इसका उल्लेख खेती जैसे ही है पर यह नैतिकता और चरित्र से सम्बंधित बात है। परमेश्वर जिसने हमें जीने के लिए इस धरती पर भेजा है हमसे अपेक्षा करता है कि हम उसके बनाये हुए नियमो को माने जिससे उसका साया या कृपा हमारे ऊपर से ना उठे और हम उस दिन तक इस धरती पर रह सके जिस दिन उसने मुकर्रर किया है। बुराई को बीजना परमेश्वर को क्रोध दिलाता है और कई बार हमारा जीवन उसके निर्धारित हुए दिन से पहले ही खतम हो जाता है। बुराई शरीर के विभिन्न अंगो से की जाती है जिसका देने वाला परमेश्वर है। परमेश्वर घमंडी आँखों ,झूठ बोलने वाली जीभ ,निर्दोष का खून बहाने वाले हाथो , दुष्ट योजना बनाने वाले ह्रदय, और तेजी से बुराई की और बढ़ने वालो पैरो से नफरत करता है। झूठी गवाही देने वाले और समाज में उत्पात फ़ैलाने लोग भी उसकी घृणा के पात्र होते है। बाइबिल यह बताती है कि मनुष्य के शरीर की रचना ६ दिन के काम के बाद एक दिन के आराम के लिए बनी है। यह आपको घरेलू नोकरो ,कर्मचारियों और खेती में काम करने वाले बैलो और अन्य जानवरो पर भी लागू होती है। परमेश्वर जिसने दुनिया की हर चीज़ बारी बारी से रची थी उसने भी सातवे दिन विश्राम किया था तो यह हमारा भी कर्तव्य है कि हम अपने परिवार समेत आराम करे और अगर हमारे लिए लोग काम करते है उनको भी छोटी का दिन दे। अगर पैसे का प्रेम हमें ७दिन काम करने को विवश करता है तो हम अपनी बीमारी के बीज अपने और दुसरो के लिए बोते है। धनी और लालची व्यवसायी पैसे को परमेश्वर से अधिक प्राथमिकता देते है और वह सारे लेबर लॉस को तोड़ने का प्रयत्न करते है। परमेश्वर के नियमो के विरुद्ध बीजना अपने जीवन में दंड को आमंत्रित करना है। बाइबिल यह बताती है कि दुष्ट का घर नाश हो जायेगा जबकि धर्मी का तम्बू कायम रहेगा। क्या गलत है और क्या सही इसे आपका विवेक या ज़मीर बताता है क्योकि परमेश्वर का यह कानून हरेक के दिल में लिखा है और इसकी आवाज़ को ना सुनना अपने ही ऊपर न्याय को लाना है। ऐसा लिखा है कि परमेश्वर के डर से थोड़े पैसे का होना कही अच्छा है बजाय इसके कि कलह और उपद्रव से कमाया बहुत बड़ा धन। लालच पुरे परिवार को दुःख में डाल देता है लेकिन रिश्वत से घृणा करने वाले लम्बे समय तक जीते है। जो लोग बुराई का अनुसरण अच्छे आदमी को बर्बाद करने के लिए करते है उनके घर से बुराई कभी नहीं जाएँगी। प्रिय दर्शको अब क्रोना का प्रकोप
या महामारी जो हर देश में फैली है नर और नारी द्वारा बीजे हुई बुराई का परिणाम है। बाइबिल ऐसे जीवित परमेश्वर के बारे में बताती है जो हमें विश्वास के द्वारा जीते जी अपनी संतान बनाने का इच्छुक है। उसके पास स्वेछा से हर व्यक्ति आ सकता है और बुराई के कुप्रभाव से बच सकता है। लेकिन चुनाव आप पर निर्भर है कोई आपको बाध्य नहीं करता। इसे आप उसकी विशेषता मानिए कि वह जीवन और मृत्यु में से एक को चुनने का अवसर प्रदान करता है। दुनिया में उपस्थित परमेश्वर का आसमान से फेका हुआ फरिश्ता या स्वर्गदूत जिसका नाम लूसिफ़र या शैतान है मनुष्य को बहकाने में माहिर है और वह हर नर और नारी को गलत तरह से फुसला कर मरवाने और पाप कराने में कमी नहीं छोड़ता। सच्चाई तो यह कि नरक में आग की झील उसी के लिए बनाई गई है ना की मनुष्य के लिए। परन्तु वह नर और नारियो से पाप के बीज भिजवाकर उन्हें वहा भिजवा देते है। तो आप में मैं उसकी युक्तिओ और बहकावे से कैसे बचे ? इसका उतर बाइबिल देती है कि हम उसके भेजे हुए बेटे पर विश्वास करे उससे अपनी हर बुराई और पाप की क्षमा मांगे। ऐसा करने से आप उसको आपने मुक्तिदाता स्वीकार करेंगे और आपके जीवन में सुरक्षा, स्वास्थ्य , समृद्धि और सकूंन को उपलब्ध को लाएगा।उस दुःख को जो कोई नहीं समझता और उन आंसुओ को जो कोई नहीं देखता वह समझेगा क्योकि आप उसकी संतान का दर्जा विश्वास से हासिल कर चुके है। वह आपको हर बुराई को बीजने से बचाकर हर श्रॉप से मुक्त करके आशीर्वाद और आशा की और ले जाएंगा।