हत्या या हिंसा !

हम बाइबिल से बोने और काटने के बारे में बता रहे है जिसकी तुलना किसान के किसी बीज विशेष को डालने और वैसी ही फसल काटने से सम्बंधित है। हर नर और नारी का विवेक, ज़मीर या कॉन्शस परमेश्वर का लिखा हुआ कानून दिलो दिमाग में है और उसकी आवाज़ को ना सुंनना और बहाने बनाकर उससे भागना हमारे लिए जीते जी और मरने के बाद अपनी कीमती जिंदिगी को जोखिम में डालना है। बाइबिल की पहली पुस्तक केन और एबल की कहानी को बताती है जिसमे केन ने अपने सगे भाई की इसलिए हत्या कर दी क्योकि परमेश्वर ने उसके विश्वास का सम्मान किया और केन को यह अच्छा नहीं लगा। नफरत की इस आग ने उसे परमेश्वर के श्राप का वारिस बनाया और उसे भगोड़ा बनाना पड़ा और निरंतर छुपना और सामान्य जीवन से वंचित होना पड़ा। आज भी हत्या करने वाले को फांसी ,उम्रकैद और कई बरसो के लिए कारावास भुगतना पड़ता है। मनुष्य का जीवन परमेश्वर की दृष्टि में बहुत कीमती है और उसकी दृष्टि में नर या नारी दोनों का बराबर महत्व है। जहाँ बेटी और बेटे की एबॉर्शन से हत्या कर दी जाती है वहां परमेश्वर की दृष्टि में बुराई का प्रकोप होता है और आज दुनिया भर के देश क्रोना जैसी महामारी को भुगत रहे है। कोई भी व्यक्ति , समाज या देश अपनी गलत करनी के प्रभाव से नहीं बच सकता बेशक कितना भी ऊपरी आडम्बर कर ले। पाप की सजा मिलेगी है चाहे आप कुछ भी कह लो। परमेश्वर ने उन दस हुक्मो जो उसने इजराइल के लोगो को स्वतन्त्र होने का बाद दिया था हत्या न करने और किसी के लहूं बहाने की मनाही की है। अगर कोई देश, समाज या समुदाय परमेश्वर के इस हुकम को माने तो करोङो रूपये की बचत बंदीगृहों के संचालन और पोलिस की तनखाह के रूप में होगी। जीवन की सुरक्षा और लम्बी उम्र परमेश्वर की मर्ज़ी हर देश के हर बाशिंदे की है। जिस देश की धार्मिक विचारधारा दूसरे की हत्या करके संपंन्न होने की होती है वहां गरीबी का श्राप कभी खतम नहीं होता और वहां जीवन सुरक्षित नहीं होता। नफरत और पड़ौसी को प्रेम न करना गुस्से को जन्म देता है और परमेश्वर हमें क्षमा करने के लिए कहता है। अगर हम क्षमा करना नहीं सींखते तो हमारा स्वास्थ्य बदतर हो जाता है और कई बार हम समय से पहले मौत के शिकार हो जायेंगे।निर्दोष की हत्या करने और नरसंहार के बीज बोने वालो की जमींन बंजर हो जाती है ,उपज नहीं होती और लोगो को रोटी कमाने के लिए दूसरे देशो के धक्के खाने पड़ते है। बाइबिल के अनुसार परमेश्वर ने हर व्यक्ति के लिए एक सुरक्षित जीवन अपने ही पैदा होने वाली ज़मींन में दिया है और उसे वंही रोटी भी उपलब्ध कराने का प्रनन्ध भी, परन्तु उस देश में बीजे गलत बीज उसे दूसरे दर्ज़े का नागरिक बना कर विदेश में रोटी कमाने को मजबूर कर देता है। बाइबिल यह भी कहती है कि जीवन देने वाला और लेने वाला स्वयं परमेश्वर है , उसने एक दिन इस दुनिया से जाने के लिए हरेक के लिए मुकर्रर किया है। मनुष्य को दूसरे की जान लेकर परमेश्वर की बनायीं हुई

किसी मनुष्य विशेष के जीवन में योजना में हस्तेक्षेप उसके लिए बहुत भयानक सिद्ध हो सकता। हम आपको यह भी बताना चाहते कि बाइबिल के अनुसार आत्मा हत्या भी परमेश्वर की योजना का विरोध करना है। जीवन की कोई भी परिस्थ्तिी इतनी संगीन नहीं कि आप अपने जीवन को ले ले। आप अपना जीवन लेने के लिए परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने दंड के भागीदार होंगे। प्रिय दर्शको आपका अपना ,आपके परिवार का ,आपके पडोसी का और हरेक का जीवन जीने के लिए ना कि मरने और मारने के लिए। यह घोर पाप है बुराई के बीज को बीजना है।

हिंसा से कई और रूप भी हो सकते है जैसे दूध , दवाई और खाने के सामान में मिलावट करना। डॉक्टर लोग पैसे के लिए जरूरत से अधिक दवाई देते है और तरह तरह के ऑपरेशन्स और प्रसव पीड़ा के बिना बच्चे को जनम देते है जिससे उनका पैसा बने। यह भी हिंसा की श्रेणी में आता है बेशक हम सब मेडिकल साइंस का सम्मान करते है कि

इसके द्वारा हमारा इलाज होता है। पुराने नियम की पुस्तक हैजेकेल के १८ : ३२ में परमेश्वर अपने चुने हुए लोगो से यह कहता है , हे प्रिय मरने की कोई जरूरत नहीं , प्रायश्चित करो और लम्बे समय तक जीओ। परमेश्वर ने ना तो अपना और ना किसी और का जीवन लेने के लिए कहा है। ऐसा करने बुराई को काटना है और अगर आपने ऐसा सोचा है तो परमेश्वर से क्षमा मांगिये !

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